जा बैठे जो मैकदो में, हम मzजिदो को भूल गये,
ना यार से इश्क़ लगते तो, हम भी खुदा को पा लेते......
Wednesday, February 16, 2011
मोहब्बत परिंदो से
कह दो इस पेड़ की शाख से, परिंदो से मोहब्बत ना करे,
आशियाँ बनें उनका, मगर उनसे अशिक़ी ना करे...
कर खुद को अता उनपे मगर, उन्हे इस बात से वाकिफ़ ना करे..
इश्क़ साबित होने दे मगर, उनपे इश्क़ साबित ना करे....
आशियाँ बनें उनका, मगर उनसे अशिक़ी ना करे...
कर खुद को अता उनपे मगर, उन्हे इस बात से वाकिफ़ ना करे..
इश्क़ साबित होने दे मगर, उनपे इश्क़ साबित ना करे....
Wednesday, February 9, 2011
जाने दे....||
मेरी आँखों में तेरा नक्श उतर जाने दे,
तेरी बातों में मेरा वक़्त गुज़र जाने दे,
मैने कितनी शिद्दत से चाहा है तुझे,
सोचता हूँ कहूँ तुझसे, मगर जाने दे...|
तेरी बातों में मेरा वक़्त गुज़र जाने दे,
मैने कितनी शिद्दत से चाहा है तुझे,
सोचता हूँ कहूँ तुझसे, मगर जाने दे...|
सच....
सच वो भी जानते हैं, सच हम भी जानते हैं,
मिलते हैं मगर ऐसे, ना पहचानते हैं,
कुछ भी नही बाकी दरमियाँ अपने,
ना वो मानते हैं, ना हम मानते हैं...||
मिलते हैं मगर ऐसे, ना पहचानते हैं,
कुछ भी नही बाकी दरमियाँ अपने,
ना वो मानते हैं, ना हम मानते हैं...||
मेरी ज़िंदगी की राह में..||
कुछ इस तरह से बढ़ चला मैं ज़िंदगी की राह में,
मैं खुद से पीछे रह गया, आगे निकालने की चाह में,||
वो दोस्त पीछे रह गया जो साथ मेरे चलता था,
वो यार पीछे रह गया जो इश्क़ मुझसे करता था,
मेरे रास्ते ही बदल गये, मेरी ज़िंदगी की राह में,
मैं खुद से पीछे रह गया, आगे निकालने की चाह में...||
दस्तूर मेरा बन गया, सफ़र हर रोज़ का,
क्या ख़त्म होगा किसी रोज़, सिलसिला मेरी खोज़ का,
मेरी मंज़िल भी पीछे रह गयी, मेरी ज़िंदगी की राह में,
मैं खुद से पीछे रह गया, आगे निकालने की चाह में....||
मैं खुद से पीछे रह गया, आगे निकालने की चाह में,||
वो दोस्त पीछे रह गया जो साथ मेरे चलता था,
वो यार पीछे रह गया जो इश्क़ मुझसे करता था,
मेरे रास्ते ही बदल गये, मेरी ज़िंदगी की राह में,
मैं खुद से पीछे रह गया, आगे निकालने की चाह में...||
दस्तूर मेरा बन गया, सफ़र हर रोज़ का,
क्या ख़त्म होगा किसी रोज़, सिलसिला मेरी खोज़ का,
मेरी मंज़िल भी पीछे रह गयी, मेरी ज़िंदगी की राह में,
मैं खुद से पीछे रह गया, आगे निकालने की चाह में....||
Subscribe to:
Posts (Atom)