Monday, March 5, 2012

सफ़र

अपनी पलकों को "फ़िर" से झपक के देखते हैं.... इस दौर से कुछ आगे निकल के देखते हैं..|
पत्थरों से ठोकरें जो राह में हासिल हुईं... वहाँ से गिर के... फ़िर संभल के "देखते" हैं..||
- गौरव