Friday, September 13, 2013

लगता है मेरे शहर में अब रात नही होती..


कुछ रोज़ से इन सितारों से  मुलाकात नही होती,
लगता है मेरे शहर में 'शायद' अब रात नही होती..|
इसे मैं अपनी बदनसीबी कहूँ... या कहूँ... उनका इख्तियार
नज़रें तो मिला करती हैं मगर अब बात नहीँ होती...||

और भी है..


मेरे चेहरे में छुपि कुछ बाकी रवानी और भी है,
खुश्क निगाहों में बचा तोड़ा सा पानी और भी है..
ये जान ले ओ खुद को ...मुझ से जुदा जानने वाले ज़रा,
तेरी कहानी से जुड़ी, इक मेरी कहानी और भी है..