कुछ रोज़ से इन सितारों से मुलाकात नही होती, लगता है मेरे शहर में 'शायद' अब रात नही होती..| इसे मैं अपनी बदनसीबी कहूँ... या कहूँ... उनका इख्तियार नज़रें तो मिला करती हैं मगर अब बात नहीँ होती...||
मेरे चेहरे में छुपि कुछ बाकी रवानी और भी है, खुश्क निगाहों में बचा तोड़ा सा पानी और भी है.. ये जान ले ओ खुद को ...मुझ से जुदा जानने वाले ज़रा, तेरी कहानी से जुड़ी, इक मेरी कहानी और भी है..