Wednesday, October 24, 2012

"रावण" अच्छा लगता है....

प्यार की कीमत लगती है..ईमान यहाँ पर बिकता है..


रावण के चेहरे में छुपा हुआ..आदम का बच्चा लगता है.....



ए काश के वो युग फिर आए.. जब चारो ओर कयामत हो..

इन कलयुग के इंसानों से तो "रावण" अच्छा लगता है....

Sunday, October 21, 2012

ज़माना खराब लगता है..




उनके ख्वाबो से मेरा पुराना हिसाब लगता है...

नींद से जागूं तो ये.. ज़माना खराब लगता है..



आज सोफी में भी इश्क़ बेनक़ाब लगता है..

पी कर आए हैं.. कहीं से शराब लगता है..







परदनशीन है वो.. मगर लाजवाब लगता है...

बंद शीशे में जैसे कोई माहताब लगता है...


खुदा का ज़िक्र तो हम भी किया करते थे मगर..

किसी बात पर रूठे हैं जनाब लगता है...

मेरी दुआ को.. हँसी में टाल देता है...

मेरा रह-बर् भी हाज़िर जवाब लगता है...





वो जो दोस्ती का दम भरा करते थे...

आज बैठे हैं.. बन कर नवाब लगता है..

जिनके होने से हम भी शाह हुआ करते थे...

उनके जाने पे.. ये ज़माना खराब लगता है...



उनके ख्वाबो से मेरा पुराना हिसाब लगता है...

नींद से जागूं तो ये.. ज़माना खराब लगता है..

Tuesday, October 9, 2012

हम पागल ही अच्छे.. हैं...

इन बिगड़े दिमाग़ों में... यादों के पुराने लच्छे हैं...


हमें पागल ही रहने दो..हम पागल ही अच्छे हैं...



तेरे हाथों से लिखा हुआ...है.. तेरा - मेरा नाम जहाँ...

उन्ही दरखतों पर लिपटे .. सूखे फूलों के गुच्छे हैं...

हमें पागल ही रहने दो.. हम पागल ही अच्छे.. हैं...



उनके किस्से पर आज भी हम बेफ़िक्रे से हंस देते हैं..

ये चेहरा शायद झूठा हो....जज़्बात हमारे सच्चे हैं..

हमें पागल ही रहने दो.. हम पागल ही अच्छे हैं...



तेरे मेरे जो बीच बँधी थी.. डोर कहीं वो छूट गयी...

देखो उसको कोई खींच ना दे.. वो धागे अब भी कच्चे हैं...

हमें पागल ही रहने दो.. हम पागल ही अच्छे हैं...



हमें दीवाना कहे कोई..कोई कहे की ज़िद्दी बच्चे हैं...

हमें पागल ही रहने दो.. हम पागल ही अच्छे हैं...