किस्मत का मुझको आज़माना अच्छा लगता है...
मुझको गमों से दोस्ताना अच्छा लगता है....
ज़श्न करने को मुसर्रत खुशगवारी ना सही
मुझे...गम-गीन महफ़िल सजाना अच्छा लगता है...
दीन-दुनिया की खुशी से वास्ता ना हो...मगर
मयकशी का हर इक बहाना अच्छा लगता है...
लड़खड़ा जाने के डर से .. दूर पैमानों से हूँ...
.साकी को मेज़बानी का.... ये बहाना अच्छा लगता है...
अपने ज़हन में घूमती...गुज़रे दिनों की याद पर...
भीगी पॅल्को से..मुस्कुराना अच्छा लगता है....
झुकती नज़रों में छुपे सैलाब की खातिर मुझे
बरसात में ...आँसू बहाना अच्छा लगता है...
मुझको मुझी में ढूंडती रहती हैं कुछ परछाईयाँ...
फिर भीड़ में चेहरा छुपाना अच्छा लगता है....
उनके मेहल, बाघ-ओ-गलीचे रास ना आए मुझे....
मुझको दिलों में आशियाना अच्छा लगता है...
मालूम है...की मेरी कहीं... मंज़िल नही होगी....मगर
फिर भी सफ़र.. तय करते जाना... अच्छा लगता है...
किस्मत का मुझको आज़माना अच्छा लगता है...
मुझको गमों से दोस्ताना अच्छा लगता है....
मुझको गमों से दोस्ताना अच्छा लगता है....
ज़श्न करने को मुसर्रत खुशगवारी ना सही
मुझे...गम-गीन महफ़िल सजाना अच्छा लगता है...
दीन-दुनिया की खुशी से वास्ता ना हो...मगर
मयकशी का हर इक बहाना अच्छा लगता है...
लड़खड़ा जाने के डर से .. दूर पैमानों से हूँ...
.साकी को मेज़बानी का.... ये बहाना अच्छा लगता है...
अपने ज़हन में घूमती...गुज़रे दिनों की याद पर...
भीगी पॅल्को से..मुस्कुराना अच्छा लगता है....
झुकती नज़रों में छुपे सैलाब की खातिर मुझे
बरसात में ...आँसू बहाना अच्छा लगता है...
मुझको मुझी में ढूंडती रहती हैं कुछ परछाईयाँ...
फिर भीड़ में चेहरा छुपाना अच्छा लगता है....
उनके मेहल, बाघ-ओ-गलीचे रास ना आए मुझे....
मुझको दिलों में आशियाना अच्छा लगता है...
मालूम है...की मेरी कहीं... मंज़िल नही होगी....मगर
फिर भी सफ़र.. तय करते जाना... अच्छा लगता है...
किस्मत का मुझको आज़माना अच्छा लगता है...
मुझको गमों से दोस्ताना अच्छा लगता है....
No comments:
Post a Comment