मैं तुझको देखता हूँ ये मुझे इल्ज़ाम ना दे, तेरा आशिक़ हूँ एक मुजरिम का मुझे नाम ना दे ||
मैने अपने रब के रूबरू रक्खा है तुझे, मेरी इबादत को तू उनसियत का पैगाम ना दे ||
तेरी हर इक ख्वाइश पे फ़ना हूँ ए दोस्त, ले मैं रुक्सत हुआ मसरूफ़ियत का हरफ़ांम ना दे ||
तेरे साए को छू कर सजदे किया करता है “गौरव”,रूठ जा तू भले मुझसे मगर बेगानो सी पहचान ना दे ||
मेरे मौला ये करता हूँ मैं इलतज़ा तुझसे,लबों पे मेरे और कोई नाम ना दे ||
No comments:
Post a Comment