Wednesday, June 29, 2011

खुदा याद नही

ज़िंदगी क़ैद में गुज़र रही हो जैसे...
जाने किस जुर्म की पाई है सज़ा याद नही |

हर इक साँस पे "यार" का सजदा किया है......
कौन कहता है की बंदे को खुदा याद नही ||

Saturday, May 28, 2011

तू मुझसे दूर कहीं जा रहा है जैसे...

तेरे साथ रह कर अक्सर ये गुमान होता है...
तू मुझसे दूर कहीं जा रहा है जैसे...|
मिला भी तो यूँ अजनबी सा तकल्लुफ लेकर...
अपनी यादों से मेरा नक्श मिटा रहा है जैसे...||

मेरी आँखों के हर इक हर्फ को पढ़ने वाला...
जहन पे उनसियत का पर्दा गिरा रहा है जैसे....|
वो मेरा हम-सफ़र कुछ इस तरह रुख़ फेर चला है...
अपने "रिंदों" में मेरी पहचान बना रहा है जैसे...||

Tuesday, May 10, 2011

इश्क़ को इश्क़ रहने दे उसकी नुमाइश भी ना कर....

यार को दिल में बसा, दीदार की ख्वाइश भी ना कर...
इश्क़ को इश्क़ रहने दे उसकी नुमाइश भी ना कर....
वो जो तेरा है तो फिर लौट के आ जाएगा.....
खुदा से फिर दुआ में उसकी फरमाइश भी ना कर....

गर इश्क़ को समझा है इबादत के काबिल,
तो "इश्क़" में चाहत की गुंजाइश भी ना कर..
इश्क़ साबित है फकत यार के मुस्कुराने से..
फिर इश्क़ की महफ़िल में आज़माइश भी कर,..||

Wednesday, March 2, 2011

ज़िंदगी की राह में

कुच्छ इस रफ़्तार से बढ़ चला मैं ज़िंदगी की राह में,

मैं खुद से पीछे रह गया आगे निकलने की चाह में,,||



वो दोस्त पीछे रह गया जो साथ मेरे चलता था,

वो यार पीछे रह गया जो इश्क़ मुझसे करता था,

मेरे रास्ते ही बदल गये मेरी ज़िंदगी की राह में,

मैं खुद से पीछे रह गया आगे निकालने की चाह में,,||



दस्तूर मेरा बन गया, सफ़र हर रोज़ का,

क्या ख़त्म होगा किसी रोज़, सिलसिला मेरी खोज़ का,

मेरी मंज़िल भी पीछे रह गयी, मेरी ज़िंदगी की राह में,

मैं खुद से पीछे रह गया आगे निकालने की चाह में,,||

मसरूफ़ियत को अपनी आदत बना लिया

मैने मसरूफ़ियत को अपनी आदत बना लिया, जो भी दर खाली मिला उसे घर बना लिया,

चाहा था तुझको फिर कभी पहचान ना सकूँ, इस चाह में खुद को भी अजनबी बना लिया..||



मैं सोचता हूँ तुझसे इस्तक्बाल क्यूँ हुआ, यूँ मुझको तुझसे मिलने का ख़याल क्यूँ हुआ...

हैरत नही की तू मुझे अब चाहता नही, हैरत नही की तू मुझे पहचानता नही,

तू है कहीं ये सोच कर दिल को माना लिया, मैने मसरूफ़ियत को अपनी आदत बना लिया..||

मेरी खता क्या है??

मैं तुझसे पूछता हूँ मेरी खता क्या है??

क्यूँ मुझसे रूठ के बैठा है, तुझे पता क्या है?? |

मैं खुद को तुझ पे वार के फ़क़ीर हो गया...

तू पूछता है, "मैने किया अता क्या है??"

ये सोच कर की अब "तू" मुझे पहचानता नही..

लबों ने तेरे इश्क़ का तराना छोड़ दिया, आगाज़ तुझसे जो हुआ, वो फसाना छोड़ दिया..|

ये सोच कर की अब "तू" मुझे पहचानता नही..कुछ रोज़ से मैने भी सवरना छोड़ दिया..||



इक वक़्त सिर्फ़ तू ही था, लक्ष्य ज़िंदगी का, अब बंद कर निगाहें तेरा निशाना छोड़ दिया..|

तेरे दीदार को जाता रहा मzजिदो में हरसूँ, कुछ रोज़ से मैने भी ये बहाना छोड़ दिया..||



पूछ कर मुझसे मेरा इस्तक्बाल, महफ़िल में तूने मुझे बेगाना छोड़ दिया..|

इक रोज़ तू ही था मेरे हर्फ आशना, तेरे जाने से मैने भी ये जमाना छोड़ दिया..||



तू इस कदर खोया कहीं शोर -ए-जहाँ में, मैने भी हार कर तुझे बुलाना छोड़ दिया..|

ये सोच कर की अब "तू" मुझे पहचानता नही, मैने भी कुछ रोज़ से सवरना छोड़ दिया....||

Wednesday, February 16, 2011

:)

जा बैठे जो मैकदो में, हम मzजिदो को भूल गये,
ना यार से इश्क़ लगते तो, हम भी खुदा को पा लेते......

:)

जा बैठे जो मैकदो में, हम मzजिदो को भूल गये,
ना यार से इश्क़ लगते तो, हम भी खुदा को पा लेते......

मोहब्बत परिंदो से

कह दो इस पेड़ की शाख से, परिंदो से मोहब्बत ना करे,
आशियाँ बनें उनका, मगर उनसे अशिक़ी ना करे...
कर खुद को अता उनपे मगर, उन्हे इस बात से वाकिफ़ ना करे..
इश्क़ साबित होने दे मगर, उनपे इश्क़ साबित ना करे....

Wednesday, February 9, 2011

जाने दे....||

मेरी आँखों में तेरा नक्श उतर जाने दे,
तेरी बातों में मेरा वक़्त गुज़र जाने दे,
मैने कितनी शिद्दत से चाहा है तुझे,
सोचता हूँ कहूँ तुझसे, मगर जाने दे...|

सच....

सच वो भी जानते हैं, सच हम भी जानते हैं,
मिलते हैं मगर ऐसे, ना पहचानते हैं,
कुछ भी नही बाकी दरमियाँ अपने,
ना वो मानते हैं, ना हम मानते हैं...||

मेरी ज़िंदगी की राह में..||

कुछ इस तरह से बढ़ चला मैं ज़िंदगी की राह में,
मैं खुद से पीछे रह गया, आगे निकालने की चाह में,||

वो दोस्त पीछे रह गया जो साथ मेरे चलता था,
वो यार पीछे रह गया जो इश्क़ मुझसे करता था,
मेरे रास्ते ही बदल गये, मेरी ज़िंदगी की राह में,
मैं खुद से पीछे रह गया, आगे निकालने की चाह में...||

दस्तूर मेरा बन गया, सफ़र हर रोज़ का,
क्या ख़त्म होगा किसी रोज़, सिलसिला मेरी खोज़ का,
मेरी मंज़िल भी पीछे रह गयी, मेरी ज़िंदगी की राह में,
मैं खुद से पीछे रह गया, आगे निकालने की चाह में....||

Wednesday, January 19, 2011

तेरे इश्क़ ने मुझे कुछ इस कदर तोड़ दिया, की मैं खुद के टुकड़े भी गिन नही पाता,
फिर भी तुझसे कुछ आशा, उम्मीद भी है बाकी,
जो बाकी था वो रह जाता अगर मैं दिल नही पाता… ||